आदतें किसी प्राणी का दिन प्रतिदिन बगैर सोचे दोहराये जाने वाला व्यवहार है। स्वस्थ आदतें स्वस्थ समाज का निर्माण करती है तो अस्वस्थ आदतें एक रुग्ण व प्रदूषित वातावरण तैयार करती हैं। व्यक्तिगत आदतें निजी जीवन को वहीं संस्थाओ की आदतें जिन्हें परम्पराएं कह सकते हैं- पूरे समाज के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। आधुनिक शहरी जीवन में नगर नियोजन की प्रमुख संस्था है नगरपालिका । उन्नाव नगरपालिका ने बुरी आदतों की परंपरा डाल रखी है- कूड़ा जलाने की। नगरपालिका कर्मी पूरे मनोयोग से कूड़ा फूंकने और प्रदूषण युक्त उन्नाव बनाने में लगे हैं। शहर के प्रमुख चौराहों से लेकर सभी वार्डों की गलियों में भोर होते ही धुएँ के गुच्छे शहर के फेफड़ों को छलनी करते देखे जा सकते हैं। आमनागरिक के तौर पर हम सबने भी नियति भाव से इसे स्वीकार कर लिया है ।शहर में सफाई व्यवस्था और प्रदूषण के मानकों की चिंता करने वाली संस्थाएँ और इनके कर्ता धर्ता या तो इससे अनभिज्ञ हैं या जानबूझकर इस सम्बंध में कोई प्रभावी कदम नहीँ उठाना चाहते हैं। शहर के जाने माने चिकित्सक,जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर आलोक पांडेय ने इस अन्धधुन्ध प्रदूषण पर हैरानी जताई।उन्होंने कहा है कि शहर का प्रदूषण स्तर बढ़ने से धुएं की वजह से उतपन्न एलर्जी फेफड़े, नाक, कान,आंख, लिवर सहित शरीर के किसी भी अंग को गम्भीर रूप से प्रभावित कर सकता है।एलर्जी के जानलेवा होने से इनकार नही किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए नगरपालिका को उचित कदम उठाने चाहिए।इस मामले में जब शहर नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी डॉक्टर रामपूजन श्रीवास्तव से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस तरह से कूड़ा जलाने की किसी भी घटना से साफ इंकार किया गया लेकिन यह बतलाये जाने पर की इन घटनाओं के ताजा फोटोग्राफिक साक्ष्य उपलब्ध है-तब वह ये मानने को तैयार हुए और इन पर त्वरित प्रभाव से रोक लगाने का आश्वासन दिया। शहर में कूड़ा डम्प करने के लिए कूड़ा डंपिंग स्थल प्रस्तावित है,अबतक यह डंपिंग केंद्र क्यों नहीं सक्रिय हो सका यह पूछे जाने परअधिशाषी अधिकारी ने आश्वासन दिया कि आगामी 15 जून को डंपिंग स्थल संचालित करवा दिया जाएगा। शहर में प्रदूषण नियामकों की चिंता करने वाली सरकारीसंस्था के अधिकारी कोरोना पीड़ित हैं,लेकिन फोन पर उन्होंने इसके लिए नगरपालिका को जिम्मेदार ठहराया। प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने अपनी लाचारगी ये कहते हुए व्यक्त की-हम लगातार नगरपालिका को इस संदर्भ में नोटिस तो देते है लेकिन सुनता कौन है।यदि सभी जिम्मेवार अपनी कर्तव्यों से अनभिज्ञ है तो आम नागरिक कहाँ जाए ? यथास्थिति कायह स्वीकार हमारे शहर और भावी पीढ़ी को भयावह भविष्य की ओर ले जाएगा । समय रहते इन प्रदूषित परम्पराओं का प्रतिकार करने की सामूहिक चेतना विकसित करनी ही होगी।
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