• Hindi
  • Heritage Edge
  • Sports Edge
  • Wildlife Edge
SHARP. BITTER. NEUTRAL.
No Result
View All Result
  • Login
The Edge Media
Thursday, October 2, 2025
  • Home
  • National Edge
  • State Edge
  • Political Edge
  • World Edge
  • Entertainment Edge
  • Business Edge
  • Sports Edge
  • Home
  • National Edge
  • State Edge
  • Political Edge
  • World Edge
  • Entertainment Edge
  • Business Edge
  • Sports Edge
No Result
View All Result
The Edge Media
No Result
View All Result
Home City edge

Martial-Arts: The Art of Survival of The Fittest

The Edge Media by The Edge Media
4 years ago
in City edge, hindi
Reading Time: 1 min read
0
Martial-Arts: The Art of Survival of The Fittest
Share on FacebookShare on TwitterShare on LinkedInShare via TelegramSend To WhatsApp

इस दुनिया में बेहतरीन ज़िंदगी जीने का सपना तो लाखों लोग देखते हैं, लेकिन, ‘बेहतरीन ज़िंदगी’ वाक़ई में होती क्या है, ये शायद ही कोई जानता हो. लोग अपनी ज़िंदगी और अपने परिवार की गाड़ी को खींच कर रखने की जद्दोजहद में, एक बहुत ही महीन बात भूल जाते हैं. वो ये, कि जंग का मैदान हो या कि जीवन का कुरूक्षेत्र, उसे जीतने के लिए इंसान का व्यक्तित्व स्वास्थ्य से भरपूर और आध्यात्मिक शक्ति से भरा होना बेहद ज़रूरी है. दुनिया की नज़रों में आने के लिए इंसान का सेहतमंद तो होना ही चाहिए लेकिन, अगर इसमें अध्यात्म का भी तालमेल बिठा लिया जाए तो ज़िंदगी ख़ुद ही बेहद खूबसूरत और बेहतरीन बन जाती है.
बद्क़िस्मती से हमारे समाज में एक ऐसा तबका भी है, जो भौतिक सुखों के नशे से बाहर निकलना ही नहीं चाहता. हालाँकि, भौतिकता भी जीवन के लिए ज़रूरी है, लेकिन, ज़िंदगी और नशे में जब नशे को चुन लिया जाता है, तब ज़िंदगी किसी नर्क से कम नहीं होती. नशा चाहे फिर पैसे का हो या फिर शराब का या शबाब का, इस नशे के दलदल में हर दूसरा इंसान इस क़दर धँस चुका है कि उसका बाहर निकल पाना अब मुमकिन दिखाई नहीं देता. एक बद्क़िस्मती ये भी है, कि इस दलदल की चपेट में देश और समाज के वो नौजवान आ चुके हैं, जिनके कंधों पर देश की अगली तारीखों के स्वर्णिम भविष्य की आधारशिला रखी हुई है और जिनसे बुज़ुर्ग उम्मीद करते हैं कि जो अब तक नहीं हुआ वो शायद, अब होगा.
मगर, लगता है कि आज के नौजवान कंधों में इतनी ताक़त ही नहीं है कि इस आधारशिला को मज़बूती से सम्भाल सकें. मानो जिस्म तो उनका जैसे हाड़ और माँस का ही हो लेकिन, रूह शैतान की खुराक बन चुकी है. फिर रूहों का ये भूखा शैतान दुनिया की हुकूमतों के सर पे सवार हो जाता है. ये हुकूमतें दुनिया पर राज तो करना चाहती हैं, लेकिन, उन्हें इंसान की खूबसूरत जीवन-शैली और एक बेहतर ज़िंदगी के उसके सपने की फिक्र कभी भी नहीं होती. शायद इसीलिए, कुछ ऐसी तैयारियाँ भी कर दी जाती हैं कि जब कभी भी कोई इंसान एक बेहतरीन ज़िंदगी का सपना देख भी ले, तो ख़ुद-ब-ख़ुद दुनिया भर में जंग का माहौल बन जाता है. कुछ नहीं तो देश के अंदर ही राजनीति, धर्म, ज़ात या बिरादरी से जुड़ा कोई बेबुनियाद शिगूफा छोड़ कर, हर किसी को आपस में ही उलझा दिया जाता है. इस शैतानी सोच का सीधा असर उन लोगों पर भी पड़ता है, जिन्होंने समाज में कहीं-न-कहीं ज्ञान, प्रेम, अध्यात्म और स्वास्थ्य की अलख जला रक्खी है.
फिर भी ग़नीमत ये है कि नकारात्मकता से पटे इस संसार के हर दौर में, ऐसे क्रांतिवीरों ने जन्म लिया है, जिन्होंने हजारों-लाखों लोगों के लिए अपनी क्रांतिकारी सोच, अपनी क़ाबिलियत और संस्कारों के बल पर, इस अलख को कभी बुझने नहीं दिया. इसकी रौशनी को ज़िंदा रखने के लिए उन्होंने ख़ुद अपनी क़ुर्बानियाँ तक दे दीं हैं. इन्हीं क्रांतिवीरों में से कुछ लोग भारत की सदियों पुरानी कला और संस्कृति की बहुमूल्य विरासत martial-arts से भी आते हैं, जहाँ संस्कारों के एक बेहद विशाल इतिहास का अनुसरण किया जाता है. ये इतिहास का वो महान अंग है जिसमें गुरु-शिष्य की परम्परा का निर्वहन करते हुए संस्कारों की गंगा, भरपूर वेग के साथ, सदियों से लेकर आज तक, लगातार बहती आ रही है. इस गंगा की गंगोत्री हमारा देश भारत ही बना है और वो एक भारतीय साधु ही था जिसने भागीरथी की तरह संस्कारों की इस गंगा को पूरी दुनिया की सामाजिकता के सागर में समाहित किया. तो फिर क्यों न martial-arts के इतिहास के पन्नों को पलटकर, उस भारतीय साधु से एक छोटी-सी मुलाक़ात कर ली जाए….!!
छठीं शताब्दी में एक राजा का बेटा और एक बौद्ध साधु, बौद्ध धर्म के चरम उत्कर्ष के समय, अपने गुरु के आदेश पर दक्षिण-भारत से चल कर चीन के Shaolin-Temple तक पहुँच गया. जहाँ उसने चीन की ‘पहली पंक्ति’ के समाज से निष्कासित मजबूर लोगों को गरीबी और बीमारी से जूझते देखा. ये गरीब और मजबूर लोग समाज के उसी तबके से आते थे, जिनके सपनों से वहाँ की हुकूमत को न तो कोई लेना-देना था और न ही उन्हें कोई अपनाने को तैयार था. तब उस भारतीय साधु ने 12 सालों तक तपस्या की और समाज के असामाजिक हवन-कुंड में एक ऐसा यज्ञ कर डाला कि उसकी तपिश से अज्ञानता का अंधकार दूर होने लगा. उस साधु ने न सिर्फ उन लोगों को अपनाया बल्कि, ज्ञान का दीप जला कर प्रेम से उनकी सेवा की और अध्यात्म की प्रेरणा भी दी. Martial-arts के विद्वानों के अनुसार, अपनी तपस्या के दौरान, उस बौद्ध साधू ने बौद्ध धर्म की शिक्षा-दीक्षा और यौगिक क्रियाओं का समावेश किया और martial-arts की एक सबसे आधुनिक Style को जन्म दिया. यही style दुनिया की सबसे पहली आधुनिक martial-arts, ‘Luohan -Quan’ (लोहान-कुआन) के नाम से मशहूर हुई. Luohan-Quan की यही style आज की सभी आधुनिक martial-arts – Kung Fu, Wushu, Judo, Karate, Tae Kwon-Do Jujutsu इत्यादि का आधार भी बना.
इस style के जन्मदाता और उस भारतीय बौद्ध साधु का नाम था – Bodhidharman, जिनका नाम martial-arts की दुनिया में एक किंवदंती बन चुका है और जिन्हें आज भी पूरी श्रद्धा के साथ नमन किया जाता है. Bodhidharman की इस खोज का गवाह बना चीन के हेनान प्रांत का वो Shaolin-Temple, जिसे उन्होंने अपनी तपस्या और दीन-दुखियों को प्रेम से गले लगाने के अपने गुण से, दुनिया के ‘पहली पंक्ति के समाज’ के सामने लाकर खड़ा कर दिया और जिसे उन्होंने Martial-arts का आज तक का सबसे बड़ा तीर्थ-स्थल बना दिया. ये Shaolin-Temple, आज चीन के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है.
Bodhidharman ने लोगों को न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाया बल्कि, लोगों को ध्यान (Meditation) सिखाया और उसके महत्व से अवगत भी किया. उन्होंने अध्यात्म के ज़रिए लोगों के अंदर आत्म-विश्वास को भी. शुरुआत में जिन लोगों ने उन्हें अपने समाज से बाहर निकाल दिया था, उन्हीं लोगों ने उन्हें न सिर्फ अपना गुरु बनाया बल्कि, उनके दिखाए गए मार्गों को आत्मसात भी किया. साथ ही उन लोगों ने अपनी और अपने परिवार की जीवन-शैली को सुधारकर एक बेहतरीन ज़िंदगी को जीना भी शुरु किया. हालाँकि, दुनिया के कुछ देश Bodhidharman के इस इतिहास को तथ्यात्मक नहीं मानते, लेकिन, martial-arts के लिए उनके बहुमूल्य योगदान को वो नकार भी नहीं सकते.
Martial-arts क्या है? कब और कहाँ से इस कला का उद्भव हुआ है? इस कला का विस्तार दुनिया में कहाँ तक पहुँच चुका है? इन सवालों के जवाब,  मोटे तौर पर सभी को मालूम होते हैं. लेकिन, इस महान कला की विधाएँ एक आम इंसान की ज़िंदगी में क्या और कितना महत्व रखती हैं, ये शायद ही किसी को पता हो. इसे समझने के लिए हमें martial-arts की सभी विधाओं में सबसे ज़्यादा प्रमुखता पाने वाली कला Kung Fu को समझना होगा. बुनियादी तौर पर ये कला, एक ‘combat-art’ से ज़्यादा, एक आध्यात्मिक जीवन शैली है, जो इंसान को सीधे प्रकृति से जोड़ती है. एक Kung Fu practitioner ध्यान और योग के दम पर, अपनी जागृत आत्म-शक्ति से अपने अंदर की गहराइयों में उतरता है और अपनी क्षमताओं से सीधा साक्षात्कार करता है. इतना ही नहीं अपने दिमाग की क्षमता को बढ़ा कर अपनी सोच के दायरे को और विकसित करता है. इसके अभ्यास से martial-arts का practitioner इस समाज, देश और दुनिया को देखने का एक सकारात्मक नज़रिया पाता है. जिसकी प्रमुखता आज के दौर में समय की माँग भी है और महत्वपूर्ण भी.
इस कला के अंतर्गत उपचार की सैकड़ों विधियाँ, physical fitness, exercises, flexibility और सबसे ज़रूरी meditation निहित है, जो अध्यात्म की दिशा की ओर बढ़ता हुआ सबसे पहला क़दम है. हालाँकि, martial-arts की बाक़ी विधाओं में भी ये तमाम गुण मिल जाते हैं, लेकिन, बाकी विधाओं में जहाँ offense को प्रमुखता दी जाती है, वहीं, Kung Fu में defense  सर्वप्रथम माना जाता है. यही वो बुनियादी फर्क है जो Kung Fu को बाकी कलाओं से सबसे अलग बनाती है. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि Kung Fu अपने practitioners को जानवरों और यहाँ तक कि छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों से भी सीखने की स्वतंत्रता और स्वच्छंदता प्रदान करती है. इसका सबूत हमें Tiger-Claw, Eagle-Claw, Monkey style, Snake Style etc. जैसी सैकड़ों fighting styles के रूप में मिलता है. Kung Fu में ही Tai Chi Quan, Qi Xing Quan, Wing Chun, Praying Mantis, Bok Hok Pai (The system of the White Crane) जैसी सैंकड़ों styles मौजूद हैं कि जिसमें अगर शोध करने बैठा जाए तो पूरी ज़िंदगी ही कम पड़ जाएगी.
Martial-arts आज जिस मुक़ाम पर पहुँच चुकी है, वहाँ से देखने पर पूरी दुनिया ही बौनी दिखायी देती है. इस कला को इस ऊंचे मुक़ाम तक पहुँचाने का सबसे ज़्यादा श्रेय भारत, चीन, जापान, कोरिया, थाइलैंड, नेपाल जैसे देशों को जाता है. इन्हीं देशों से martial-arts को अलग-अलग विधाओं में पूरी दुनिया में पहुंचाया गया है. जबकि,  भारत इन अद्भुत कलाओं की जन्मदात्री Kalaripayattu का जन्मदाता और विश्व-गुरु भी बन चुका है. गुरु-शिष्य की परम्पराओं को आगे बढ़ाते हुए आज Martial-arts से जुड़े लोग इस महान कला के बल पर न सिर्फ खेलों की दुनिया में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे हैं बल्कि, मनोरंजन के संसार में भी अपने क़दम रख चुके हैं.
खेलों की दुनिया में आज martial-arts की विधाएँ खिलाड़ियों के लिए सिर्फ उनका जुनून ही नहीं बल्कि, उनकी ‘जीने की वजह’ भी बन चुकी हैं. इन खिलाड़ियों के लिए Martial-arts सिर्फ़ बेहतरीन workout  ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने और अध्यात्म को पाने का एक सर्वोत्तम साधन है. खिलाड़ियों के लिए ये कला एक खेल से ज़्यादा, ख़ुद को साबित करने और अपने वजूद को पाने का एक ज़रिया भी बन चुकी है. ये खिलाड़ी अच्छी तरह से जानते हैं कि इस अद्भुत और महान कला की विधाओं को सीखने के लिए जुनून, समर्पण और अनुशासन बेहद ज़रूरी है. सुबह भोर के वक़्त से लेकर, सूरज ढलने तक, एक कड़े अनुशासन के साथ, ये खिलाड़ी सारा दिन पूरे समर्पण भाव के साथ, अपनी कला का अभ्यास, जुनून की हद तक करते रहते हैं. शायद, यहाँ ये कहना सही होगा कि वो ख़ुद को आखरी हद तक आज़मा रहे होते हैं. उनके अंदर इस हद तक अभ्यास की धुन सिर्फ इसलिए है, कि कभी अगर मौक़ा आ गया तो उनके प्रदर्शन में कहीं कोई कसर नहीं छूटनी चाहिए और इसलिए भी कि उनके प्रदर्शन में आयी कमी से कहीं उनके गुरु या माता-पिता और अपने देश का नाम धूमिल न हो जाए.
अब सवाल ये उठता है कि अगर martial-arts का एक शानदार रुतबा और दुनिया में इतना ऊंचा मुक़ाम है और इतिहास भी गवाह है कि भारत इस नायाब कला का जन्मदाता भी है और विश्व-गुरु भी, तो फिर इस कला में भारत के ही खिलाड़ी दुनिया के परिप्रेक्ष्य में पीछे क्यों रह गए? हमारे देश में इस कला को जीवन में career opportunity का एक आधार क्यों नहीं बनाया जाता? आखिर क्या कारण है कि बाक़ी खेलों के खिलाड़ी जहाँ आज एक व्यवस्थित, सुरक्षित और क़ामयाब ज़िंदगी जी रहे हैं, वहाँ martial-arts की किसी भी विधा का खिलाड़ी क्यों सारी उम्र struggle करता रहता है?
इन सवालों के जवाब कड़वे सच के रूप में मौजूद हैं और वो ये, कि struggle तो भारत देश का हर खिलाड़ी कर रहा है. जब कोई कला खेल बन जाती है, तब कहीं न कहीं वो business भी बन जाती है. जिसमें पैसा हर तरह से ज़रूरी हो जाता है. फिर एक खिलाड़ी कभी खिलाड़ी नहीं रह जाता बल्कि, एक product बन कर रह जाता है. खेलों के अंदर की राजनीति भी एक प्रमुख कारण होती है, जिसमें सच्ची प्रतिभा को हटाकर चहेते खिलाड़ियों को आगे लाने जैसे गंदे खेल भी खेले दिए जाते हैं. फिर दुनिया भर की associations, societies, federations के रूप में कई गुट बन जाते हैं. हालाँकि, खेलों की तरक्की के लिए ये ज़रूरी भी है बशर्ते, कि कला के मूल्तत्व को न भुलाया जाए.
रही बात career opportunity की तो ये एक दूसरा बेहद कड़वा सच है कि इस देश में खेलों के ज़रिए career बना पाना बहुत ही मुश्किल होता है. कम-से-कम Olympics  में शामिल होने तक तो मुश्किल ही है. हालाँकि, कुछ लोग क्रिकेट से इन खेलों की तुलना करने लग जाएंगे लेकिन, अगर उनसे पूछा जाए कि क्या देश में क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी का चयन Indian team में होता है?  तो जवाब है – नहीं. लेकिन, फिर भी इस खेल की लोकप्रियता भारत में कितनी है, ये बताने की किसी को ज़रूरत नहीं.
इसलिए ये सवाल नहीं बल्कि, वो यक्ष-प्रश्न हैं जिनसे देश के हर खेल और खिलाड़ी को आए दिन जूझना पड़ता है. बशर्ते कि वो खेल लोकप्रिय होना चाहिए. दरअसल, इस देश की सबसे बड़ी विडम्बना है कि दुनिया में, ख़ासकर इस देश में, लोग उन्हीं चीज़ों के पीछे जाते हैं जो लोकप्रियता के शिखर पर हो. लेकिन, लोकप्रियता का ये तर्क भी झूठा साबित हो जाता है. भारत में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा कमाऊ खेल क्रिकेट है बल्कि, लोग तो इसे धर्म की तरह मानते हैं. लेकिन, कितने लोग हैं जो भारत की महिला क्रिकेट टीम की किसी एक खिलाड़ी का नाम जानते हों? क्या ये शर्मनाक नहीं है कि इसी देश की महिला क्रिकेट टीम को इतने सालों में अब जाकर लोकप्रियता मिलनी शुरु हुई है. वहीं, टीम की महिला खिलाड़ियों को तब पहचान मिली जब वो अपने रिटायरमेंट के क़रीब आ गयीं. ऐसी ही हालत देश के सभी खेलों की है, जिससे martial-arts भी अछूता नहीं है.
भारत सरकार के खेल मंत्रालय से Right To Information Act के तहत एक सवाल पूछा गया – “हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कब घोषित किया गया था?” इस सवाल को पूछने वाले महाराष्ट्र के धुले जिले के निवासी और एक अध्यापक, मयूरेश अग्रवाल थे. इसके जवाब में, खेल मंत्रालय ने 15 जनवरी, 2020 को कहा- “सरकार ने किसी भी खेल को देश का राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है, क्योंकि सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय खेल स्पर्धाओं को बढ़ावा देना है!!” खेल मंत्रालय के इस कथन से सवाल ये उठता है कि अगर सभी लोकप्रिय खेलों को प्रोत्साहन दिया जाना है तो तमाम फायदे और प्रोत्साहन सिर्फ एक खेल को ही क्यों? ज़ाहिर है, जिस देश का कोई राष्ट्रीय खेल है ही नहीं, ऐसे में उस देश में खेल और Olympic gold medal  विजेता खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में होता है, तो देश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है? लेकिन. अगर martial-arts के sector को देखें तो इस क्षेत्र में फिर भी कुछ उम्मीदें बंधती दिखाई देती हैं. ये देखना काफ़ी सुखद है कि Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand के अलावा Punjab, Haryana, Maharashtra, Tripura, Manipur, Mizoram और दक्षिण-भारत में देखें तो फिर भी, martial-arts का भविष्य काफी हद तक बेहतर हो रहा है. भारत के बाकी प्रदेशों में भी नौजवान खिलाड़ी martial-arts को अपनाकर, अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इनके प्रयासों को देख कर एक उम्मीद तो बंधती है कि एक दिन इस देश के हर खिलाड़ी अपना उचित सम्मान और प्रतिष्ठा ज़रूर प्राप्त कर सकेंगे. और कुछ नहीं तो आज के Covid-19 जैसी महामारी के समय में जहाँ लोग एक-एक साँस के लिए मोहताज हो रहे हैं, वहाँ martial-arts के खिलाड़ी अपनी practice से कम-से-कम ख़ुद को और साथ में अपने परिवार को भी सुरक्षित रखने में सक्षम हैं. क्या इतना ही काफी नहीं है….??

Via: Ansul Gaurav
Previous Post

Amartya Sen criticizes indian government as “schizophrenia” which led to Covid-19 crisis.

Next Post

पर्यावरण असंतुलन व जलवायु परिवर्तन की पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के सार्थक उपाय

Related News

The Edge Magazine – September 2025

The Edge Magazine – September 2025

by The Edge Media
September 3, 2025
0

What’s Next? SC Revises Stray Dog Order, Directs Sterilisation and Return but Dog Lovers, NGOs Asked to Deposit Costs

What’s Next? SC Revises Stray Dog Order, Directs Sterilisation and Return but Dog Lovers, NGOs Asked to Deposit Costs

by The Edge Media
August 23, 2025
0

The Supreme Court has revised its August 11 order on stray dogs, ruling that sterilised and vaccinated animals be released...

Supreme Court Orders Aggressive Sterilisation to Control Stray Dog Population: A Landmark Verdict Ensures Public Safety & Animal Welfare

Supreme Court Orders Aggressive Sterilisation to Control Stray Dog Population: A Landmark Verdict Ensures Public Safety & Animal Welfare

by The Edge Media
August 23, 2025
0

In a landmark verdict, the Supreme Court of India has directed aggressive sterilisation of stray dogs under the ABC Rules,...

“Marriage Is Not for Absolute Freedom” – Supreme Court’s Bold Statement on Relationships

“Marriage Is Not for Absolute Freedom” – Supreme Court’s Bold Statement on Relationships

by The Edge Media
August 23, 2025
0

In a landmark ruling, the Supreme Court stated that marriage requires compromise and responsibility, warning against unrealistic expectations of absolute...

BJP Leader Rekha Gupta Gets Z+ Security Cover Amid Threat Concerns

BJP Leader Rekha Gupta Gets Z+ Security Cover Amid Threat Concerns

by The Edge Media
August 23, 2025
0

BJP leader Rekha Gupta has been granted Z+ category security cover following intelligence warnings of threats, sparking political debate.

India to Launch First-Ever Human Space Mission ‘Gaganyaan’ in December 2025

India to Launch First-Ever Human Space Mission ‘Gaganyaan’ in December 2025

by The Edge Media
August 23, 2025
0

ISRO has announced December 2025 as the launch date for India’s first human spaceflight mission, Gaganyaan, marking a new era...

Discussion about this post

Recommended

Zydus Covid vaccine for kids above 12 to come up for approval this week.

Zydus Covid vaccine for kids above 12 to come up for approval this week.

4 years ago

Amit Shah, Kejriwal to meet tomorrow on COVID-19

5 years ago

Popular News

  • The Edge Magazine – September 2025

    The Edge Magazine – September 2025

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • What’s Next? SC Revises Stray Dog Order, Directs Sterilisation and Return but Dog Lovers, NGOs Asked to Deposit Costs

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • Supreme Court Orders Aggressive Sterilisation to Control Stray Dog Population: A Landmark Verdict Ensures Public Safety & Animal Welfare

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • “Marriage Is Not for Absolute Freedom” – Supreme Court’s Bold Statement on Relationships

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • BJP Leader Rekha Gupta Gets Z+ Security Cover Amid Threat Concerns

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • Hindi
  • Heritage Edge
  • Sports Edge
  • Wildlife Edge
SHARP. BITTER. NEUTRAL.

© 2024 The Edge Media All Rights Reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In
No Result
View All Result
  • Home
  • National Edge
  • State Edge
  • Political Edge
  • World Edge
  • Entertainment Edge
  • Business Edge
  • Sports Edge

© 2024 The Edge Media All Rights Reserved.