आपको बता दे की यह बीमारी फफूंद के एक समूह के कारण होती है, जिसे म्यूकरमाइसेट्स कहा जाता है जो पूरे पर्यावरण में पनपता है। साथ ही ये बिमारी मानव शरीर में मस्तिष्क को सबसे पहले अपनी चपेट में लेता है।
कोरोना महामारी के साथ साथ अब ये बिमारी भी भारत में तेज़ी से फ़ैल रही है और अगर इस बिमारी का समय रहते और ठीक से इलाज नहीं किया गया तो ये बिमारी जानलेवा बन सकती है। साथ ही आपको ये भी बता दे की इसे बेहद गंभीर संक्रमण कहा जा रहा है, जिसकी मृत्यु दर भी अधिक है।
साथ ही आपको बता दे की अभी शोध के जरिये कोविड-19 और ब्लैक फंगस संक्रमण के बीच संबंध स्थापित करना बाकी है। डॉक्टरों ने पाया है कि 2020 में उनके द्वारा इलाज किए गए अधिकांश म्यूकरमाइकोसिस के मामले और 2021 की शुरुआत में कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस के केस पाए गए थे। उनमें ब्लड सुगर का स्तर भी अधिक था।
आखिर क्या है ये ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) :-
यह बीमारी फफूंद के एक समूह के कारण होती है, जिसे म्यूकरमाइसेट्स कहा जाता है जो पूरे पर्यावरण में पनपता है। यह फंगस का एक परिवार है जो आपके मस्तिष्क में जाकर एयर स्पेस में एकत्र हो सकते हैं। जब प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें नियंत्रण में नहीं रख सकती है तो वे मस्तिष्क के आधार पर आक्रमण करते हैं जहां यह एक वास्तविक समस्या बन जाती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संक्रमण संक्रामक नहीं है और पूरी तरह से एक ऑपरेशन के माध्यम से हटाया जा सकता है लेकिन अगर इसका प्रारंभिक अवस्था में पता चला है।
क्या है इस बीमारी के लक्षण :-
संक्रमण के शुरुआती लक्षणों में नाक बंद होना, आंख या गाल में सूजन, नाक में काली सूखी पपड़ी, बदबूदार नाक का बहना, चेहरा सुन्न होना, बुखार, सर्दी, एकतरफा सिरदर्द, सूजन या सुन्नता, दांत दर्द, और दांत का ढीला होना। अगर ढिलाई बरती गई तो संक्रमण आंखों और फिर मस्तिष्क तक भी फैल सकता है।
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